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कम से कम 68 पत्रकारों को मौत के मुंह में धकेल दिया गया

पत्रकारों और मीडिया कर्मियों के लिए बेहद खतरनाक रहा 2024; कम से कम 68 को उतारा गया मौत के घाट

कम से कम 68 पत्रकारों को मौत के मुंह में धकेल दिया गया

पत्रकारों और मीडिया कर्मियों के लिए बेहद खतरनाक रहा 2024; कम से कम 68 को उतारा गया मौत के घाट

संयुक्त राष्ट्र के शैक्षणिक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) की महानिदेशक ऑड्रे अजूले ने बताया कि वर्ष 2024 भी पत्रकारों व मीडिया कर्मियों के लिए बेहद खतरनाक साबित हुआ है।पत्रकारों के लिए यह लगातार दूसरा साल है, जो जानलेवा साबित हुआ है। इस दौरान अपना कामकाज करते हुए कम से कम 68 पत्रकारों को मौत के मुंह में धकेल दिया गया। पत्रकारों और मीडिया कर्मियों को जान से मार दिए जाने के इन मामलों में से 60 प्रतिशत मामले, ऐसे देशों में हुए जो टकरावों और युद्धों से जूझ रहे हैं। पिछले लगभग एक दशक में ये सबसे बड़ी संख्या है।

यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्री अजूले ने कहा कि टकरावों, युद्धों और संकटों से प्रभावित आबादी की मदद करने और दुनिया को जागरूक करने के लिए विश्वसनीय जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यह अस्वीकार्य है कि पत्रकारों को इस काम के लिए अपनी जान देनी पड़े. मैं सभी देशों से अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अनुसार मीडियाकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का आहवान करती हूं।

यूनेस्को की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस साल टकराव और युद्ध वाले क्षेत्रों में 42 पत्रकार मारे गए, जिनमें फलस्तीन में मारे गए 18 पत्रकार और मीडियाकर्मी शामिल हैं, जहां सबसे ज्यादा मौतें दर्ज की गईं। यूक्रेन, कोलम्बिया, इराक़, लेबनान, म्यांमार और सूडान जैसे अन्य देशों में भी अनेक पत्रकारों की मौतें हुईं, जिनसे हिंसा और अस्थिरता वाले क्षेत्रों में बढ़े हुए जोखिमों का संकेत मिलता है।

2023 में भी इस तरह का दुखद रुझान देखा गया था और इन दो वर्षों में टकरावों व युद्धों में सबसे अधिक संख्या में पत्रकारों की मौत हुई है, जो 2016-2017 के बाद से किसी भी तुलनीय अवधि की तुलना में सबसे अधिक संख्या है।

पत्रकारों की सुरक्षा के मामले में निसन्देह टकरावों और युद्धों वाले क्षेत्र एक गम्भीर चिन्ता का विषय बने हुए हैं, दूसरी तरफ इस वर्ष के दौरान पत्रकारों की कुल हत्याओं की संख्या में कुछ कमी आई है। टकरावों और युद्धों से दीगर क्षेत्रों में पत्रकारों की मौतों में उल्लेखनीय कमी आई, जहां 26 पत्रकार मारे गए। यह 16 वर्षों में सबसे कम संख्या है।

यह गिरावट लातीनी अमेरिका और कैरीबियाई क्षेत्र में विशेष रूप से स्पष्ट नजर आई जहां पत्रकारों की हत्याएं 2022 में 43 से घटकर 2024 में 12 पर आई। यह स्थिति शांतिकाल में पत्रकारों के विरुद्ध खतरों को दूर करने के प्रयासों में कुछ प्रगति का संकेत देती है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां पहले मीडियाकर्मियों के विरुद्ध हिंसा होती थी।

यूनेस्को को ये आंकड़े अग्रणी अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता संगठनों से प्राप्त होते हैं, जिससे इन आंकड़ों की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए, इन्हें सख्ती के साथ सत्यापित किया जाता है। यदि किसी पत्रकार की मौत, पत्रकारिता कार्य से सम्बन्धित कार्यों के दौरान या कारण नहीं साबित होती है तो ऐसे मामलों को इस श्रेणी से बाहर रखा जाता है। हालांकि, दर्जनों मामलों की समीक्षा की जा रही है और यूनेस्को घटनाक्रमों की बारीकी से निगरानी करना जारी रखे हुए है। यूनेस्को का कार्य मृत्यु दर की निगरानी करने और उसका आलेखन करने से कहीं आगे तक फैला हुआ है।

यह संगठन पत्रकारों की सुरक्षा और उनके विरुद्ध अपराधों को अंजाम देने वाले तत्वों के लिए दंडमुक्ति के चलन पर, संयुक्त राष्ट्र कार्य योजना जैसी पहलों के माध्यम से पत्रकारों की सुरक्षा के लिए काम करता है। पत्रकारों को शारीरिक खतरों के अलावा, वित्तीय और कानूनी दबावों सहित नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

यूनेस्को ने 2019 और 2024 के बीच पर्यावरण सम्बन्धी मुद्दों पर रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों पर हमलों में 42 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है, जो मीडिया के सामने आने वाले जोखिमों की उभरती प्रकृति को उजागर करती है। यूनेस्को ने प्रेस की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने और पत्रकारों की सुरक्षा के लिए अपने प्रयास जारी रखते हुए, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से मीडिया कर्मियों के लिए सुरक्षा को मज़बूत करने का आहन किया है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि सत्य की खोज के लिए पत्रकारों को अंतिम कीमत नहीं चुकानी पड़े।

(नोट: यह लेख संयुक्त राष्ट्र हिंदी समाचार सेवा से लिया गया है।

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